शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को सुगम एवं सक्षम बनाने में सूचना-प्रौधोगिकी का योगदान
आज सूचना प्रौधोगिकी के
आविर्भाव ने अध्ययन और शिक्षा में नवाचार की गति को उल्लेखनीय तेजी प्रदान की है । सूचना के क्षेत्र में सूचनाप्रौधोगिकी ने क्रांतिकारी परिवर्तन ला दिया है । आज वेब पर बहुत सारी शैक्षिक सामग्री एवं ज्ञान उपलब्ध
है। सभी विषयों के एनसाइक्लोपीडिया,
सभी देशों के एटलस, मानचित्र, संस्कृति, इतिहास, साहित्य सब कुछ इसके जरिये उपलब्ध
है । सूचना प्रौधोगिकी ने
शिक्षा का भूमंडलीयकरण बहुत ही तेज गति से किया है I विद्यार्थी आज घर बैठे ही विदेशी
शिक्षण संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं, ऑनलाइन परीक्षा दे सकते हैं, अध्ययन कर
सकते हैं और डिग्री हासिल कर सकते हैं । लैपटॉप और कंप्यूटर के जरिये हम किसी विशेष स्थान पर शारीरिक रूप
से उपलब्ध न रहते हुए भी विद्द्वत चर्चा में भाग ले सकते हैं, जैसा की समाचार
चैनलों में किसी समाचार के प्रसारण में होता है । नेट के आगमन से हमारे पुस्तकालय भी नेट से जुड़ गये हैं
। आजसूचना प्रौधोगिकी के
चलते ही डिजिटल लाइब्रेरी व ई-बुक की संकल्पना सभी को भायी है । भारत में आज इग्नू, आई.आई.टी.
समेत विभिन्न शिक्षण संस्थानों ने इन्टरनेट आधारित शैक्षिक कार्यक्रम शुरू कर दिए
हैं । ई-लर्निंग और ऑनलाइन
लर्निंग सूचना प्रौधोगिकी के अहम् टूल्स है । आज शिक्षा, टी.वी., कंप्यूटर, रेडियो, टेलीफोन, मोबाइल
आदि अनेक इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के द्वारा प्रदान की जा रही है । इसके फलस्वरूप, लोगों का शिक्षा
के प्रति रुझान एवं आकर्षण बढ़ा है ।
सूचना प्रौधोगिकी के कारण ही आज शोध कार्य बढ़ा है और नये-नये क्षेत्रों में शोध
होने लगे हैं । विभिन्न प्रतियोगी
परीक्षाओं में भी यह अन्तः उपयोगी साबित हो रहा है । शिक्षा के क्षेत्र में सूचना प्रौधोगिकी, विद्यार्थियों
तथा शिक्षकों, दोनों के लिए उपयोगी साबित हो रही है । सूचना प्रौधोगिकी के जरिये आज शिक्षा प्रभावशाली होने
के साथ-साथ रोचक और आसान हो गयी है एवं इसके द्वारा ही शिक्षण विधि एवं प्रविधि
में भी प्रभावशाली परिवर्तन देखने को मिल रहा है । वर्तमान
समय में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की संकल्पना एक प्रतिस्पर्द्धी, गरिमामय भारत का सृजन करने की है, जो ज्ञान, अनुसंधान, सृजनात्मकता और नवाचार से परिपूर्ण है । पिछले
कुछ दशकों से प्रौद्योगिकी ने हर संभव मार्ग से हमारे जीवन को पूरी तरह बदल दिया
है । भारत एक सफल सूचना और संचार प्रौद्योगिकी से सज्जित राष्ट्र होने के नाते
सदैव सूचना और संचार प्रौद्योगिकी के उपयोग पर अत्यधिक बल देता रहा है, न केवल अच्छे शासन के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के विविध क्षेत्रों जैसे स्वास्थ्य, कृषि और शिक्षा आदि के लिए भी । भारत में ऐसे अनेक कार्यक्रम और योजनाएं, जैसे मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, "सर्व शिक्षा अभियान",
राष्ट्रीय साक्षरता अभियान आदि शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए सरकार
द्वारा आरंभ किए गए हैं । हाल के वर्षों में इस बात
में काफी रुचि रही है कि सूचना और संचार प्रौद्योगिकी को शिक्षा के क्षेत्र में
कैसे उपयोग किया जा सकता है । शिक्षा के क्षेत्र में सूचना और संचार प्रौद्योगिकी
के सर्वाधिक महत्वपूर्ण योगदानों में से एक है-
'अधिगम्यता पर आसान पहुंच संसाधन’। सूचना और संचार
प्रौद्योगिकी की सहायता से विद्यार्थी अब ई-पुस्तक, परीक्षा के नमूने
वाले प्रश्न पत्र, पिछले वर्षों के प्रश्न पत्र आदि देखने
के साथ संसाधन व्यक्तियों, विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं, व्यावसायिकों और साथियों से दुनिया के किसी भी कोने पर आसानी से संपर्क कर
सकते हैं । सूचना और संचार प्रौद्योगिकी की सर्वाधिक अनोखी विशेषता यह है कि इसे
समय और स्थान में समायोजित किया जा सकता है । इसे ध्यान में रखते हुए सूचना और
संचार प्रौद्योगिकी ने डिजिटल अधिगम्यता को संभव बनाया है । अब विद्यार्थी किसी भी समय
अपनी सुविधानुसार ऑनलाइन अध्ययन पाठ्यक्रम सामग्री को पढ़ सकते हैं ।
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