मूल्य शिक्षा की आवश्यकता एवं महत्व

 

जीवन को खुशहाल व सफल बनाने के लिए इन्सान को अपने आप को मूल्यवान बनाना आवश्यक है, जिसके लिए सर्वप्रथम उसे अपना व्यवहार, आचरण व कर्म सुधारने आवश्यक होते हैं । इन्सान को मूल्यवान बनाने में शिक्षा की सर्वाधिक आवश्यकता होती है क्योंकि शिक्षा के बल पर ही कर्मों को गति प्रदान की जा सकती है । शिक्षा इन्सान के गुणों एवं प्रतिभा में वृद्धि करती है परन्तु सिर्फ पढ़ने-लिखने से ही इन्सान प्रतिभाशाली नहीं बनता; बल्कि पढ़ने-लिखने के साथ-साथ शिक्षा को समझना भी आवश्यक है क्योंकि शिक्षा समझने से तथा विवेक द्वारा मंथन करने से ही इन्सान को ज्ञान की प्राप्ति होती है और ज्ञानी इन्सान समाज के लिए बहुत मूल्यवान होता है ।

 

जीवन की कठिनाइयों से बचने एवं उज्ज्वल भविष्य के लिए खुद को संसार में मूल्यवान बनाना अत्यंत आवश्यक है । संसार में प्रत्येक वस्तु व विषयों तथा जीवों तक का मूल्य है, जो इन्सान संसार में बेमोल होते हैं उनका जीवन किसी भौतिक वस्तु या जीव से भी तुच्छ हो जाता है । इन्सान का मूल्य समाज में व्यवहार, आचरण व कर्म के आधार पर प्राप्त सम्मान के अनुसार होता है । जो इन्सान सामाजिक सम्बन्धों का आदर करते हैं; अच्छे व्यवहारिक होते हैं; समाज की भलाई एवं समाज सेवा का कार्य करते हैं, समाज उनका सम्मान करता है और उन्हें समाज में मूल्यवान समझा जाता है । इसके विपरीत, जो इन्सान समाज में अव्यवहारिक तथा भ्रष्टाचारी, अपराधिक प्रवृति के होते हैं; उन्हें न केवल समाज के लिए अपितु सम्पूर्ण मानवता के लिए नुकसानदेह माना जाता है ।

 

चरित्र के निर्माण के लिए भी मूल्य शिक्षा आवश्यक है । मनुष्य के भाग्य का निर्माण उसका चरित्र करता है। चरित्र ही उसके जीवन में उत्थान और पतन, सफलता और विफलता का सूचक है । अतः बालक को सफल व्यक्ति, उत्तम नागरिक और समाज का उपयोगी सदस्य बनाना चाहते हैं तो उसके चरित्र का निर्माण किया जाना परम आवश्यक है। यह तभी सम्भव है, जब उसके लिए धार्मिक और नैतिक शिक्षा की व्यवस्था की जाये । अच्छे गुणों व आदतों के निर्माण के लिए भी मूल्य शिक्षा की अत्यंत आवश्यकता है । मूल्य शिक्षा उनमें अनेक अच्छे गुणों और आदतों का निर्माण करती है, यथा-उत्तरदायित्व की भावना, सत्य की खोज, उत्तम आदर्शों की प्राप्ति, जीवन-दर्शन का निर्माण, आध्यात्मिक मूल्यों की अभिव्यक्ति इत्यादि। मूल्य व्यक्तियों को अपनी इच्छाओं, आकांक्षाओं व उद्देश्यों को वास्तविकता प्रदान करने का आधार प्रस्तुत करते हैं। मूल्य व्यक्ति के समाजीकरण एवं विकास में सहायक होते हैं ।

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